भौगोलिक पर्यावरण में मानव जीवन की रचना : पश्चिमी राजस्थान में राईका समुदाय का जीवन व संस्कृति

Abstract

भौगोलिक वातावरण में मानव जीवन के निर्माण के अध्ययन में राज्य के रायका समुदाय में पशुपालन की प्रवृत्ति के दृष्टिकोण से विश्व के मानव जीवन की उत्पत्ति और संस्कृति को तर्कसंगत रूप से समझना नितांत आवश्यक है। प्रस्तुत शोध में मरुस्थलीय क्षेत्र में बसे राइका समुदाय पशुपालन व्यवसाय का पता है, इसलिए राजस्थान के राइकाओं की अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान है। जब बात पशुपालन की आती है तो हमारे दिमाग में लाठी, अंगरखा और धोती लिए, चमड़े के जूते पहने, ऊंटों और भेड़ों का झुंड लेकर चलने वाले व्यक्ति की तस्वीर उभरती है। सांस्कृतिक पहचान बनाए रखना मुख्य रूप से भेड़ पालन और ऊंट पालन रायका राजस्थान और गोंडवाड़ क्षेत्रों में केंद्रित है।

मरुस्थल की विकट परिस्थितियों ने उनके पहनावे, खान-पान और रहन-सहन पर काफी प्रभाव डाला है, इन विकट परिस्थितियों ने उन्हें मौसमी प्रवास के लिए भी प्रेरित किया है। ऊंट और भेड़ पालन उनकी आजीविका का मूल साधन है। प्रस्तुत शोध में, पश्चिमी राजस्थान में राइका समुदाय का जीवन और संस्कृति: एक भौगोलिक अध्ययन जिसमें रायका समुदाय के जीवन का पारंपरिक तरीका, समुदाय पर भौतिक सांस्कृतिक प्रभाव, मौसमी प्रवास, जीवन और संस्कृति में परिवर्तन के विभिन्न आयाम विस्तार से विश्लेषण किया गया है।

Key Words:

राईका, समुदाय का जीवन व संस्कृति, रायका समुदाय में पशुपालन

Jeevaram Devasi;

Headmaster; Govt. Upper Primary School, Khan Varman (Shirohi - Rajsthan)
Ph.D. Research Scholar, Maharaja Surajmal Brij University, Rajasthan
Email : jrdewasi@54gnail.com

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