Abstract
कवियों की लेखनी ने इतिहास को सहेज कर रखा है। इन लेखनी कला में दक्ष माने जाते हैं। चारण कवि जिन्होंने प्राचीन काल से लेकर अभी तक इतिहास को अपनी कलम से सुरक्षित रखने के साथ-साथ अन्य पक्षों को भी उजागर किया है। जहां प्राचीन समय से ही उनके काव्य लेखन ने भक्ति को चुना। वही मध्यकाल एवं आधुनिक समय में इन्होंने भक्ति के अलावा राजनीति, दरबारी साहित्य, प्रकृति प्रेम पर भी बहोत सारा लेखन कार्य किया है। आधुनिक समय में भी अपना योगदान दिया है इस कारण से किया गया है। आधुनिक समय में भी राजस्थान में चारण कवियों ने राजस्थानी साहित्य में अपना योगदान दिया है। इस कारण राजस्थानी साहित्य लेखन की एक शैली का नाम ‘चारण साहित्य लेखन’ शैली कहा जाता है । मेरे संशोधन में उक्त वर्णित चारण साहित्य की काव्य विवेचन प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
Key Words:
चारण जाति, प्राचीन चारण साहित्य, मध्यकालीन चारण साहित्य, उत्पत्ति विषयक वृतांत, यशस्वी गाथाएं, भक्तिकाव्य, विदेशी आक्रमण, परंपरागत वीर काव्य, देवियाण, निन्दात्मक काव्य
पूजा चारण
शोधार्थी (JRF), IIS (Deemed to be University), Jaipur
Email : poojaratnu.charan@gmail.com