स्वतंत्रता काल
स्वतंत्रता काल : सौराष्ट्र की रियासतों के राजघरानों की महिलाओं का योगदान
रीनू वर्मा; शोध छात्रा, इतिहास और संस्कृति विभाग, गूजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद
Abstract :
भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में अनेकों विचारधाराएं और वर्गों जैसें – उदारवादी, क्रांतिकारी, गाँधीवादी, महिलायें, बुद्दिजीवी, किसान, मजदूर, साथ ही रियासतों के रजवाड़ें आदि ने भारत के स्वतंत्रता हेतु महान योगदान दिया । परिणामतः हमारे देश को १५ अगस्त १९४७ को स्वतंत्रता मिली । इस स्वतंत्रता संघर्ष में जो वैश्विक तथा राजनीतिक पटल पर रहें उनके विषय व उनके योगदान की जानकारी हमें भली- भांति है। जिनमे महिलायें भी सम्मलित थी, जिनमे कस्तूरबा गाँधी, सरोजिनी नायडू, मैडम भीकाजी कामा, रानी गौडइल्यू, सुचेता कृपलानी आदि जैसी महान स्वतंत्रता सेनानी थी उसी समय काल मे मंद गति से धीरे-धीरे अप्रत्यक्ष रूप में सामाजिक और आरोग्य क्षेत्र में भी महिलायें अपना योगदान दे रही थी जैसे, स्वतंत्रता संघर्ष मे जब प्रत्यक्ष स्वतंत्रता सेनानी ब्रिटिश अत्याचार से चोटिल होकर आते तब ये अप्रत्यक्ष महिला सेनानी घरेलू और पारंपरिक उपचार करती थी जो उन्होनें अपनी पीढ़ी दर पीढ़ी ज्ञान से सीखा था जो बहुत ही सराहनीय था, परंतु इन सेनानियों पर कभी किसी का ध्यान नहीं गया। साथ ही जिसका क्षेत्र भी बहुत ही व्यापक था। जिसका इस लेख मे विवरण देना संभव नहीं है। फिर भी यह सौराष्ट्र के रियासतों में जब शिक्षा विकास हो रहा था साथ ही अनेकों बीमारियों और महामारियों का प्रसार व्यापक क्षेत्रों मे हो रहा था तथा आधुनिक पद्यति के अस्पताल और प्रसूति हॉस्पिटल खुलने लगे तब इस समयकाल मे नर्सों की भर्ती होने लगी और उस समयकाल मे महिलाओं का घर से निकाल कर नर्स के पेशा को अपनाना और अपनी कर्तव्य को सत्यनिष्ठा से निभाया। जो बहुत ही चुनौती पूर्ण था, जिसे सौराष्ट्र के महिलाओं ने बखूबी किया । यह बहुत ही अविस्मरणीय है । इस लेख मे सौराष्ट्र के राजघरानों के महिलाओं के योगदान जो उन्होंने सामाजिक और आरोग्य क्षेत्र मे दिया था उनका संक्षिप्त उल्लेख इस लेख मे करने का प्रयत्न होगा ।
Keywords: स्वतंत्रता संघर्ष, आरोग्य, अप्रत्यक्ष, आयुर्वेद, शिक्षा
Vol. 04, Issue 04, October to December – 2022
ISSN (Online) : 2582 -046X, “Ansh – Journal Of History”
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