लोक साहित्य में आहुवा ठिकाने की शौर्य-गाथा
लोक साहित्य में आहुवा ठिकाने की शौर्य-गाथा
वीर सिंह, शोद्यार्थी इतिहास विभाग, भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय उदयपुर
Abstract :
जोधपुर रियासत का आहुवा ठिकाना दोहरी ताजिमयुक्त सिरायत ठिकाना था। जिसके ठाकुर को अव्वल दर्जा एवं न्यायिक अधिकार प्राप्त थे। राठौड़ रियासत जोधपुर में महाराजा के संरक्षक,सलाहकार,प्रधानमंत्री एवं प्रमुख सेनापति का दायित्व अधिकतर समय तक आहुवा ठिकानेदारो ने निभाया था। आहुवा के ठिकानेदारो ने शासन-प्रशासन, युद्ध के मैदान,संस्कृति- संरक्षण और अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस कारण आहुवा ठिकाने का इतिहास स्वर्णिम,गौरवशाली एवं उज्जवल रहा है। अतः लोक-साहित्य की विभिन्न विधाओं यथा गीत, दोहा,छंद, सोरठा कवित, मरसिया इत्यादि में प्रचुर मात्रा में आहुवा के ठिकानेदारो के सुजस एवं कीर्ति का उल्लेख किया गया है। साथ ही साथ डिंगल एवं पिंगल साहित्य में आहुवा ठिकाने के शौर्यमय एवं पराक्रमी पुरुषार्थ का सांगोपांग क्षत्रियोंचित वर्णन बहुतर मिलता है।
Keywords: आहुवा, शौर्य के दोहे, काव्य पद, गीत
Vol. 04, Issue 04, October to December – 2022
ISSN (Online) : 2582 -046X, “Ansh – Journal Of History”
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